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हम रहैं न रहैं लेखनी प्रतियोगिता -03-Aug-2022

              अमर ने जैसे ही आई सी यू वार्ड मे  प्रवेश किया और अपनी पत्नी शान्ति की हालत देखकर उसकी आँखौ में आँसू आगये। शान्ति जीवन व मृत्यु से संघर्ष कर रही थी।


      शान्ति अमर का हाथ अपने हाथ में लेकर बोली," शालू के पापा मुझसे कोई जाने अनजाने में भूल होगयी हो तो माँफ करना। अब हम रहै या ना रहे आपको  कुछ फरक नही पडे़गा।  लेकिन हमारी यादें आपको अवश्य तड़पायेगी। मुझे नहीं मालूम हमारे साथ यह क्या हुआ ? मै किसी को दोष नहीं देरही हूँ। और न मै किसी को दोषी मानती हूँ क्यौकि जो कुछ होता है वह तकदीर में लिखा हुआ ही होता है। 

        आपसे हाथ जोड़कर एक विनती अवश्य कर रही हूँ कि मेरी शालू का ध्यान रखना। वह अभी बहुत छोटी है वह केवल प्यार की भाषा समझती है वह यहाँ नही मिलेगा। अतः आप उसको अपने साथ रखलेना। शहर के अच्छे से स्कूल में  पढा़ना। आपको तो मुझसे भी अच्छी  दूसरी पत्नी मिलजायेगी। लेकिन मेरी शालू को माँ कहा मिलेगी।" इतना कहकर शान्ति को एक दो हिचकी आई और उसकी गरदन लुढ़क  गयी।


         शान्ति शायद अब तक केवल अमर से बात करने के लिए ही जीवत थी  और उससे बात करने के बाद  शान्ति हमेशा के लिए शान्त होगयी।

        शान्ति ने जबसे सुध सवारी थी तब से आज तक की जिन्दगी में सुख तो देखा ही नही थी।

     शान्ति ने जब इस मतलब की दुनिया में कदम रखा था उसी समय उसकी माँ उसे जन्म देते ही स्वर्ग सिधार गयी थी।उससे बडे़ दो भाई थे। उसका लालन पालन उसकी दादी ने ही किया था। जैसे ही शान्ति दस बरस की हुई दादी भी धोका देकर भगवान के पास चली गयी।  शान्ति के पापा ने दूसरी शादी इस लिए नहीं की थी कि सौतेली माँ कैसी होगी ?

    और शान्ति ने बचपन तो खेला ही नहीं था। दस साल की बच्ची के हाथ में खिलौने और किताबौ की जगह चकला बेलन  थमा दिये गये। और वह अपने भाईयौ बाप और अपने पेट के लिए चोका चूल्हे की होकर रहगयी।

      जब भाई बडे़ होगये और बडे़ भाई की शादी होगयी ।लेकिन वह भाई तो सबसे आगे निकल गया। वह शादी होते ही अपना अलग परिवार बसा कर बैठ गया। 

    फिर छोटे भाई की शादी हुई तब वह भी अपनी जिठानी की तरह अलग होगयी। उसके बाद शान्ति जब दुल्हन बनकर ससुराल आई कि सास ने मेहदीं छूटने से पहले ही रसोई में झौक दिया।
 
       शान्ति के पति परमेश्वर शहर में अकेले रहते थे वहाँ वह बैंक में क्लर्क थे। उन्होने समाज के डर से शान्ति को साथ रखना ठीक नही समझा। शान्ति की सास ने भी शान्ति को कभी प्यार के दो बोल नही बोले थे।

          शान्ति ने अपने भाईयौ का हाल देखा था इसलिए पति के साथ जाने की कभी जिद नहीं की थी। वह जानती थी कि वह  चली गयी तब उसकी सास पर क्या बीतेगी।उसको सास कितना भी परेशान करलेती थी लेकिन उसने इसकी शिकायत कभी अपने पति से नहीं की थी।

       पति महोदय भी जब आते तब अपना मतलब निकालकर अपनी ड्यूटी पर भाग जाते उससे कभी नही पूछा कि  शान्ति तू कैसी है तुझे कुछ चाहिए या नहीं। वह सोचती थी किवह अनपढ़ है अपने गाँव में ही ठीक है।

     शान्ति माँ बनने वाली होगयी लेकिन उसकी सास ने  शान्ति को कभी बजन उठाने से भी मना नहीं किया। जब उसके बेटी ने जन्म लिया तबसे सास और अधिक परेशान करने लगी थी।  लेकिन शान्ति   कभी बिरोध नहीं किया।

      कुछ समय बाद उसके देवर की शादी भी होगयी। वह पढी़लिखी थी एवं जाब वाली थी। अतःवही सास उसका आदर करती थी और उससे डरती थी।

         और एक दिन उसकी देवरानी गाँव आई हुई थी। वह सुबह चाय बनाकर लेगयी लेकिन भूल से गैस खुली  छोड़गयी। जब शान्ति ने जैसे ही गैस चलाने की कोशिश की और शान्ति को चारौ तरफ से आग ने घेर लिया। शान्ति चीखने चिल्राने लगी लेकिन जब तक वहाँ उसकी सास आई तब तक शान्ति अस्सी प्रतिशत जल चुकी थी।

     यह थी शान्ति की  जन्म से लेकर शान्त होने तक की दुख भरी कहानी।

   शान्ति की मौत के बाद अमर को एहसास हुआ कि पत्नी के बिना जिन्दगी क्या होती है। 

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा "पचौरी "

03/08/2022



      

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12 Comments

Kusam Sharma

14-Aug-2022 07:10 AM

Khushbu

04-Aug-2022 08:54 AM

बहुत खूब

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Punam verma

04-Aug-2022 08:06 AM

Very nice

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